Apple watch में अब ऐसे फीचर्स आ गया है जो लोगों के Blood Pressure (Hypertension)की पहचान करने में मदद करेगा। इंग्लिश पिक्चर को अमेरिका के FDA आधिकारिक मंदिर मिल गई है। यह मंजूरी दिखाती है की पहन ने योग डिवाइस फिटनेस ट्रैक करने के लिए ही नहीं बल्कि बीमारियों को पहले से से पहचानne और रोकने में भी मददगार साबित हो रही है।

एक ऐतिहासिक अनुमोदन क्या है।

Apple Watch में एक नया सॉफ्टवेयर सिस्टम आया है जैसे FDA ने माधुरी दी है। यह सिस्टम सीधे आपका ब्लड प्रेशर नहीं मापता बल्कि आपके शरीर के संकेतों से अंदाजा लगता है। कि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है या नहीं।

वॉच कैसे काम करता है?

आज आपके दिल की धड़कन और उसके लहर आपके हाथ तक पहुंचाने के समय को मापति है। जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो यह समय कम हो जाता है और वह इस बदलाव को लगातार ट्रैक करते रहते हैं। अगर वॉच को बार-बार यह संकट मिलता है कि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है तो यह आपको नोटिफिकेशन भेज देती है।

Apple Watch with Data
Apple Watch with Data (image source from apple healthcare site)

हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) क्यों खतरनाक है?

हाइपरटेंशन मतलब ब्लड प्रेशर ज्यादा होना और यह बीमारी दुनिया भर में मौत और गंभीर बीमारियों के सबसे बड़े कर्म में से एक होता है। दुनिया की स्थिति के अनुसार WHO के मुताबिक 1.3 बिलियन यानी 130 करोड़ लोग हाइपरटेंशन से पीड़ित रहते हैं।

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भारत की स्थिति में ICMR के अनुसार भारत में हर 4 में से 1 वयस्क को हाइपरटेंशन रहता है। सबसे चिंता की बात यह है कि इनमें से आधे लोगों को पता नहीं होता कि उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या है।

इस साइलेंट किलर क्यों कहते हैं?

हाइपरटेंशन के स्पष्ट लक्षण नहीं होते यानी यह चुपचाप बढ़ता है धीरे-धीरे यह दिल की बीमारी, हार्ट अटैक, किडनी फेल, और आंखों की रोशनी कम होने जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।

क्योंकि लोग लक्षण नहीं पहचान पाए इलाज में देरी होता है तो और खतरा बढ़ जाता है।

विशेषज्ञ क्या कर रहे हैं?

सुरुआती चेतावनी का फायदा डॉक्टर संदीप मिश्रा का कहना है कि यह फीचर एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की तरह है। मतलब यह उन लोगों को भी अलर्ट कर सकता है जिन्हें पता ही नहीं कि उनका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है। इससे लोग समय रहते डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। जो बीमारियों को रोकने में मदद करता है।

डॉक्टर प्रिया कोहली बताती है कि यह फीचर किधर ब्लड प्रेशर मापने वाला टोल नहीं है। FDA की मंजरी इसका उत्तर है भरोसेमंद होने की पुष्टि करती है। लेकिन यह स्क्रीनिंग टूल है, डायग्नोस्टिक डिवाइस नहीं है। इसका मतलब अंतिम जांच और इलाज के लिए अभी भी ब्लड प्रेशर मॉनिटर और डॉक्टर की राय जरूरी होगी।

यह फीचर असल जिंदगी में कैसे मदद करेगा

  • उदाहरण 1 : राहुल एक कॉरपोरेट जॉब में है तनाव ज्यादा रहता है।अपोलोच उसे बार-बार अलर्ट करते हैं कि उसके ब्लड प्रेशर के बढ़ने के संकेत है। शुरुआत में वह ऐसे नजर अंदाज करता है, लेकिन बार-बार चेतावनी मिलने पर डॉक्टर के पास जाता है, जांच में फ्री हाइपरटेंशन पता चलता है। डॉक्टर के सलाह और जीवन शैली में बदलाव से वह गंभीर हाइपरटेंशन और उससे होने वाले खतरे से बच जाता है।
  • उदाहरण 2: सीता देवी एक 60 साल की महिला उनको डायबिटीज है। उनके वॉच उन्हें ब्लड प्रेशर के खतरे की सूचना भेजती है। उनका बेटा दूसरे शहर में रहता है और हेल्थ अप के जरिए उनकी वॉच की रिपोर्ट अपने फोन पर देख सकता है। (अगर शेयरिंग की अनुमति है) बेटा तुरंत फोन करके मन को डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह देता है। इस तरह दूर रहते हुए भी बेटा अपनी मां की हेल्थ मंत्री में मदद कर पता है।

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सीमाएं और भविष्य की राह

जबकि एक शानदार शुरुआत है इस तकनीक के कुछ सीमाएं हैं।

यह फीचर आपको सीधे ब्लड प्रेशर नहीं बताती आपको 140/90 जैसा नंबर नहीं देता है बल्कि सिर्फ यह बताता है कि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा हो सकता है। इसकी पुष्टि आपको डॉक्टर या ब्लड प्रेशर मशीन से करनी होगी।

यह सिस्टम बड़े शोधों पर आधारित है हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए नतीजे हर किसी पर बिल्कुल एक जैसी नहीं हो सकते हैं।

एप्पल वॉच अभी भी महंगी है इसलिए सब लोग इसे खरीद नहीं सकते।

भविष्य की उम्मीदें

आने वाले समय में तकनीक और बेहतर होगी जिससे बिना सूर्य कफ लगाए ही सब ठीक ब्लड प्रेशर रीडिंग मिल सकती है।

FDA के मंजूरी मिलने से अब अन्य कंपनीया भी ऐसे चटनी के बनाने के लिए प्रेरित होगी।

यह डिजिटल हेल्थ के नए युग की शुरुआत है।

निष्कर्ष:

Apple Watch की यह मंजूरी सिर्फ एक कंपनी की जीत नहीं है, बल्कि यह बताती है कि अब तक नहीं क्यों हमारे स्वास्थ्य की देखभाल करने के तरीकों को बदल रही है।

यह लोगों को अपने सेहत के प्रति जागरूक कर रही है और बीमारियों को पहले पहचानने और रोकने में मदद कर रही है। भविष्य में स्वास्थ्य सेवाएं और भी व्यक्तिगत, सक्रिय और आसान होंगे।

FAQ : पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न

Q1: क्या एप्पल वॉच अब सीधे ब्लड प्रेशर माप सकती है?
A: नहीं, यह फीचर सीधे सिस्टोलिक या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (जैसे 120/80 mmHg) का मूल्य नहीं बताता है। यह पल्स अराइवल टाइम (PAT) नामक एक तकनीक का उपयोग करके रक्तचाप में वृद्धि के संकेतों का पता लगाता है और उपयोगकर्ता को एक चेतावनी सूचना भेजता है।

Q2: इस FDA अनुमोदन का वास्तव में क्या मतलब है?
A: FDA (अमेरिका की खाद्य एवं औषधि प्रशासन) का अनुमोदन इस बात का प्रमाण है कि यह तकनीक चिकित्सकीय रूप से सटीक और विश्वसनीय है, और इसका उपयोग एक स्क्रीनिंग टूल के रूप में किया जा सकता है। इसने इस फीचर को एक मेडिकल डिवाइस के रूप में वैधता प्रदान की है।

Q3: क्या इस सूचना मिलने के बाद मुझे सीधे डॉक्टर के पास जाना चाहिए?
A: तुरंत घबराने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले, एक मानक ब्लड प्रेशर मॉनिटर (कफ वाला) से अपने रक्तचाप की पुष्टि करें। यदि उच्च रक्तचाप की पुष्टि होती है, तो उसके बाद ही चिकित्सक से परामर्श करें। एप्पल वॉच की सूचना पहला कदम है, अंतिम निदान नहीं।

Q4: यह फीचर किन Apple Watch मॉडल्स में उपलब्ध होगा?
A: अभी तक एप्पल ने आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया है कि यह फीचर किस मॉडल तक सीमित होगा। आमतौर पर, ऐसे उन्नत हेल्थ फीचर्स नए और हाल के मॉडल्स (जैसे Series 9, Ultra 2, और संभवतः Series 8) में ही उपलब्ध होते हैं, क्योंकि उनमें जरूरी हार्डवेयर होता है।

Q5: क्या मैं इस फीचर पर अपने उपचार के निर्णय आधारित कर सकता हूँ?
A: बिल्कुल नहीं। इस फीचर को एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि एक नैदानिक उपकरण के रूप में। किसी भी उपचार या दवा के बारे में कोई भी निर्णय लेने से पहले हमेशा किसी योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

Q6: ‘साइलेंट किलर’ शब्द का क्या अर्थ है?
A: उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) को अक्सर ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है क्योंकि इसमें अक्सर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। व्यक्ति को पता भी नहीं चलता, लेकिन यह शरीर के अंदर हृदय, गुर्दे, मस्तिष्क और धमनियों को नुकसान पहुंचाता रहता है, जो अंततः गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।

Q7: भारत के संदर्भ में यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
A: भारत में हाइपरटेंशन एक गंभीर और तेजी से फैलता हुआ स्वास्थ्य संकट है। ICMR के आंकड़ों के अनुसार, लगभग हर चार में से एक वयस्क इससे प्रभावित है, और लगभग 50% लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है। ऐसी तकनीक जो लोगों को शुरुआती चेतावनी दे सके, भारत जैसे देश में जनस्वास्थ्य पर बहुत बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।